वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 11: पञ्चाप्सर तीर्थ एवं माण्डकर्णि मुनि की कथा, विभिन्न आश्रमों में घूमकर श्रीराम आदि का सुतीक्ष्ण के आश्रम में आना तथा अगस्त्य के प्रभाव का वर्णन
»
श्लोक 89
श्लोक
3.11.89
अत्र देवा: सगन्धर्वा: सिद्धाश्च परमर्षय:।
अगस्त्यं नियताहारा: सततं पर्युपासते॥ ८९॥
अनुवाद
play_arrowpause
देवता, गंधर्व, सिद्ध और महर्षि नियमित भोजन करके यहाँ हमेशा अगस्त्य मुनि की पूजा करते हैं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.