श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 11: पञ्चाप्सर तीर्थ एवं माण्डकर्णि मुनि की कथा, विभिन्न आश्रमों में घूमकर श्रीराम आदि का सुतीक्ष्ण के आश्रम में आना तथा अगस्त्य के प्रभाव का वर्णन  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  3.11.8 
 
 
तत: कौतूहलाद् रामो लक्ष्मणश्च महारथ:।
मुनिं धर्मभृतं नाम प्रष्टुं समुपचक्रमे॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  तब भगवान श्रीराम और बलशाली लक्ष्मण ने उत्सुकतावश अपने साथ आए हुए धर्मभृत् नामक मुनि से पूछना शुरू किया -
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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