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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 11: पञ्चाप्सर तीर्थ एवं माण्डकर्णि मुनि की कथा, विभिन्न आश्रमों में घूमकर श्रीराम आदि का सुतीक्ष्ण के आश्रम में आना तथा अगस्त्य के प्रभाव का वर्णन
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श्लोक 6
श्लोक
3.11.6
पद्मपुष्करसम्बाधं गजयूथैरलंकृतम्।
सारसैर्हंसकादम्बै: संकुलं जलजातिभि:॥ ६॥
अनुवाद
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सरोवर लाल और सफेद कमलों से भरपूर था। उसमें हाथियों के झुंड खेल रहे थे, जो उसकी शोभा बढ़ा रहे थे। सारस, राजहंस, कलहंस और अन्य पक्षी भी वहाँ मौजूद थे। जल में विभिन्न प्रकार की मछलियाँ भी थीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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