विविक्तेषु च तीर्थेषु कृतस्नाना द्विजातय:।
पुष्पोपहारं कुर्वन्ति कुसुमै: स्वयमर्जितै:॥ ५२॥
अनुवाद
विविक्त एवं पवित्र तीर्थ स्थानों में स्नान करने के बाद द्विजगण अर्थात ब्राह्मण स्वयं द्वारा चयनित एवं एकत्रित किए गए पुष्पों से देवताओं को पुष्पांजलि अर्पित करते हैं।