श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 11: पञ्चाप्सर तीर्थ एवं माण्डकर्णि मुनि की कथा, विभिन्न आश्रमों में घूमकर श्रीराम आदि का सुतीक्ष्ण के आश्रम में आना तथा अगस्त्य के प्रभाव का वर्णन  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  3.11.43 
 
 
यदि बुद्धि: कृता द्रष्टुमगस्त्यं तं महामुनिम्।
अद्यैव गमने बुद्धिं रोचयस्व महामते॥ ४३॥
 
 
अनुवाद
 
  महामते! यदि तुम्हारे मन में महामुनि अगस्त्य के दर्शन का निश्चय है, तो आज ही उनकी यात्रा पर जाने का भी निर्णय ले लो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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