श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 11: पञ्चाप्सर तीर्थ एवं माण्डकर्णि मुनि की कथा, विभिन्न आश्रमों में घूमकर श्रीराम आदि का सुतीक्ष्ण के आश्रम में आना तथा अगस्त्य के प्रभाव का वर्णन  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  3.11.42 
 
 
रंस्यते तत्र वैदेही लक्ष्मणश्च त्वया सह।
स हि रम्यो वनोद्देशो बहुपादपसंयुत:॥ ४२॥
 
 
अनुवाद
 
  हाँ, उस जगह वैदेही सीता और लक्ष्मण तुम्हारे साथ आनंदपूर्वक विचरण करेंगे, क्योंकि बहुसंख्यक वृक्षों से सुशोभित वह वन ऐसा है, जो अति रमणीय है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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