श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 11: पञ्चाप्सर तीर्थ एवं माण्डकर्णि मुनि की कथा, विभिन्न आश्रमों में घूमकर श्रीराम आदि का सुतीक्ष्ण के आश्रम में आना तथा अगस्त्य के प्रभाव का वर्णन  »  श्लोक 29-30h
 
 
श्लोक  3.11.29-30h 
 
 
अथाश्रमस्थो विनयात् कदाचित् तं महामुनिम्॥ २९॥
उपासीन: स काकुत्स्थ: सुतीक्ष्णमिदमब्रवीत्।
 
 
अनुवाद
 
  एक दिन जब श्रीराम उस आश्रम में विराजमान थे, तो उन्होंने विनीत भाव से महामुनि सुतीक्ष्ण के पास बैठकर ये वचन कहे:
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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