श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 11: पञ्चाप्सर तीर्थ एवं माण्डकर्णि मुनि की कथा, विभिन्न आश्रमों में घूमकर श्रीराम आदि का सुतीक्ष्ण के आश्रम में आना तथा अगस्त्य के प्रभाव का वर्णन  »  श्लोक 28-29h
 
 
श्लोक  3.11.28-29h 
 
 
स तमाश्रममागम्य मुनिभि: परिपूजित:॥ २८॥
तत्रापि न्यवसद् राम: किंचित् कालमरिंदम:।
 
 
अनुवाद
 
  शत्रुओं का दमन करने वाले श्रीराम उस आश्रम में पहुँचे और वहाँ रहने वाले मुनियों ने उनका आदर-सत्कार किया। कुछ समय तक वे वहाँ रहे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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