श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 11: पञ्चाप्सर तीर्थ एवं माण्डकर्णि मुनि की कथा, विभिन्न आश्रमों में घूमकर श्रीराम आदि का सुतीक्ष्ण के आश्रम में आना तथा अगस्त्य के प्रभाव का वर्णन  »  श्लोक 22-23h
 
 
श्लोक  3.11.22-23h 
 
 
प्रविश्य सह वैदेह्या लक्ष्मणेन च राघव:।
तदा तस्मिन् स काकुत्स्थ: श्रीमत्याश्रममण्डले॥ २२॥
उषित्वा स सुखं तत्र पूज्यमानो महर्षिभि:।
 
 
अनुवाद
 
  राघव श्रीराम, सीता जी और लक्ष्मण के साथ उस तेज से युक्त आश्रम में प्रवेश करके उस समय सुखपूर्वक निवास किया। वहाँ के महर्षियों ने उनका बहुत आदर-सत्कार किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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