श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 11: पञ्चाप्सर तीर्थ एवं माण्डकर्णि मुनि की कथा, विभिन्न आश्रमों में घूमकर श्रीराम आदि का सुतीक्ष्ण के आश्रम में आना तथा अगस्त्य के प्रभाव का वर्णन  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  3.11.19 
 
 
तासां संक्रीडमानानामेष वादित्रनि:स्वन:।
श्रूयते भूषणोन्मिश्रो गीतशब्दो मनोहर:॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  देवताओं के मनोरंजन के लिए इकट्ठी उन अप्सराओं के बाजों की आवाज सुनाई देती है जो आभूषणों की झनकार के साथ मिलकर बेहद सुरीली लग रही है। उनके गीतों की मधुर ध्वनि भी मन को मोह रही है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.