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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 11: पञ्चाप्सर तीर्थ एवं माण्डकर्णि मुनि की कथा, विभिन्न आश्रमों में घूमकर श्रीराम आदि का सुतीक्ष्ण के आश्रम में आना तथा अगस्त्य के प्रभाव का वर्णन
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श्लोक 17
श्लोक
3.11.17
ताश्चैवाप्सरस: पञ्च मुने: पत्नीत्वमागता:।
तटाके निर्मितं तासां तस्मिन्नन्तर्हितं गृहम्॥ १७॥
अनुवाद
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तटाक के भीतर बनी हुई इन पाँचों अप्सराओं का घर जल के भीतर छिपा हुआ है और वे वहीं निवास करती हैं। वे ऋषि की पत्नियाँ बन गई हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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