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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 11: पञ्चाप्सर तीर्थ एवं माण्डकर्णि मुनि की कथा, विभिन्न आश्रमों में घूमकर श्रीराम आदि का सुतीक्ष्ण के आश्रम में आना तथा अगस्त्य के प्रभाव का वर्णन
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श्लोक 16
श्लोक
3.11.16
अप्सरोभिस्ततस्ताभिर्मुनिर्दृष्टपरावर:।
नीतो मदनवश्यत्वं देवानां कार्यसिद्धये॥ १६॥
अनुवाद
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तदनंतर, जिन मुनि ने सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार के धर्मों का ज्ञान प्राप्त कर लिया था, उन पाँच अप्सराओं ने उन्हें कामदेव के अधीन कर दिया ताकि देवताओं का कार्य सिद्ध हो सके।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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