श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 11: पञ्चाप्सर तीर्थ एवं माण्डकर्णि मुनि की कथा, विभिन्न आश्रमों में घूमकर श्रीराम आदि का सुतीक्ष्ण के आश्रम में आना तथा अगस्त्य के प्रभाव का वर्णन  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  3.11.12 
 
 
स हि तेपे तपस्तीव्रं माण्डकर्णिर्महामुनि:।
दशवर्षसहस्राणि वायुभक्षो जलाशये॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  माण्डकर्णि नाम के एक महान ऋषि ने दस हजार वर्षों तक केवल वायु का आहार करते हुए और एक जलाशय में रहकर तपस्या की थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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