श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 11: पञ्चाप्सर तीर्थ एवं माण्डकर्णि मुनि की कथा, विभिन्न आश्रमों में घूमकर श्रीराम आदि का सुतीक्ष्ण के आश्रम में आना तथा अगस्त्य के प्रभाव का वर्णन  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  3.11.1 
 
 
अग्रत: प्रययौ राम: सीता मध्ये सुशोभना।
पृष्ठतस्तु धनुष्पाणिर्लक्ष्मणोऽनुजगाम ह॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात श्रीराम सबसे आगे चल रहे थे, बीच में परम सुंदर सीता चल रही थीं और उनके पीछे हाथ में धनुष लिए लक्ष्मण चलने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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