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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 10: श्रीराम का ऋषियों की रक्षा के लिये राक्षसों के वध के निमित्त की हुई प्रतिज्ञा के पालन पर दृढ़ रहने का विचार प्रकट करना
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श्लोक 7-8h
श्लोक
3.10.7-8h
मया तु वचनं श्रुत्वा तेषामेवं मुखाच्च्युतम्॥ ७॥
कृत्वा वचनशुश्रूषां वाक्यमेतदुदाहृतम्।
अनुवाद
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श्रवण कर उनके मुख से रक्षा हेतु निकली इस प्रकार की पुकार को और मन में उनकी आज्ञाओं के पालन रूपी सेवा का विचार लाकर मैंने उनसे यह बात कही।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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