श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 10: श्रीराम का ऋषियों की रक्षा के लिये राक्षसों के वध के निमित्त की हुई प्रतिज्ञा के पालन पर दृढ़ रहने का विचार प्रकट करना  »  श्लोक 6-7h
 
 
श्लोक  3.10.6-7h 
 
 
ते भक्ष्यमाणा मुनयो दण्डकारण्यवासिन:॥ ६॥
अस्मानभ्यवपद्येति मामूचुर्द्विजसत्तमा:।
 
 
अनुवाद
 
  दण्डकारण्य के उन द्विजश्रेष्ठ मुनियों द्वारा खाए जा रहे राक्षस हमारे पास आकर मुझसे बोले - "हे प्रभो! हम पर कृपा करें।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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