श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 10: श्रीराम का ऋषियों की रक्षा के लिये राक्षसों के वध के निमित्त की हुई प्रतिज्ञा के पालन पर दृढ़ रहने का विचार प्रकट करना  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  3.10.22 
 
 
इत्येवमुक्त्वा वचनं महात्मा
सीतां प्रियां मैथिलराजपुत्रीम्।
रामो धनुष्मान् सह लक्ष्मणेन
जगाम रम्याणि तपोवनानि॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  महात्मा श्रीरामचन्द्रजी ने अपनी प्रिय मिथिलेशकुमारी सीता से यह वचन कहा और हाथ में धनुष लेकर लक्ष्मण के साथ रमणीय तपोवनों में विचरण करने लगे।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे दशम: सर्ग:॥ १०॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें दसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ १०॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.