श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 10: श्रीराम का ऋषियों की रक्षा के लिये राक्षसों के वध के निमित्त की हुई प्रतिज्ञा के पालन पर दृढ़ रहने का विचार प्रकट करना  »  श्लोक 16-17h
 
 
श्लोक  3.10.16-17h 
 
 
मया चैतद्वच: श्रुत्वा कात्स्‍न्‍‍र्येन परिपालनम्॥ १६॥
ऋषीणां दण्डकारण्ये संश्रुतं जनकात्मजे।
 
 
अनुवाद
 
  जनकनंदिनी! दण्डकारण्य में ऋषियों की यह बात सुनकर मैंने उनकी रक्षा करने का वचन दिया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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