श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 10: श्रीराम का ऋषियों की रक्षा के लिये राक्षसों के वध के निमित्त की हुई प्रतिज्ञा के पालन पर दृढ़ रहने का विचार प्रकट करना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  3.10.1 
 
 
वाक्यमेतत् तु वैदेह्या व्याहृतं भर्तृभक्तया।
श्रुत्वा धर्मे स्थितो राम: प्रत्युवाचाथ जानकीम्॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  हनुमान जी को श्री राम के मुंह से अपने प्रति कहा हुआ भक्तिपूर्वक यह कथन सुनकर धर्म में निरंतर स्थित रहने वाले हनुमान जी ने इस प्रकार श्री राम को उत्तर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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