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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 1: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का तापसों के आश्रम मण्डल में सत्कार
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श्लोक 8
श्लोक
3.1.8
पुण्यैश्च नियताहारै: शोभितं परमर्षिभि:।
तद् ब्रह्मभवनप्रख्यं ब्रह्मघोषनिनादितम्॥ ८॥
अनुवाद
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तपोवनों से सुशोभित वह परम ऋषियों से भरा आश्रम ब्रह्मलोक के समान तेजस्वी और वेदों की ध्वनि से गूंजायमान था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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