श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 1: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का तापसों के आश्रम मण्डल में सत्कार  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  3.1.22 
 
 
एवमुक्त्वा फलैर्मूलै: पुष्पैरन्यैश्च राघवम्।
वन्यैश्च विविधाहारै: सलक्ष्मणमपूजयन्॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार कहकर उन तपस्वी ऋषि-मुनियों ने जंगल में उगने वाले फलों, जड़ों, फूलों आदि कई तरह के आहारों से भगवान श्री रामचंद्रजी और लक्ष्मण जी की पूजा की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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