वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 1: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का तापसों के आश्रम मण्डल में सत्कार
»
श्लोक 22
श्लोक
3.1.22
एवमुक्त्वा फलैर्मूलै: पुष्पैरन्यैश्च राघवम्।
वन्यैश्च विविधाहारै: सलक्ष्मणमपूजयन्॥ २२॥
अनुवाद
play_arrowpause
इस प्रकार कहकर उन तपस्वी ऋषि-मुनियों ने जंगल में उगने वाले फलों, जड़ों, फूलों आदि कई तरह के आहारों से भगवान श्री रामचंद्रजी और लक्ष्मण जी की पूजा की।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.