राजन! हमने जीवों को दंड देना छोड़ दिया है, क्रोध पर नियंत्रण पा लिया है और अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली है। अब हमारे पास केवल तपस्या ही धन है। जैसे माँ गर्भ में अपने बच्चे की रक्षा करती है, उसी प्रकार आपको भी हमारी हमेशा हर तरह से रक्षा करनी चाहिए।