धर्मज्ञ मुनियों ने सब कुछ निवेदन करके हाथ जोड़कर बोला - ‘रघुनन्दन! दण्ड धारण करने वाला राजा धर्म का पालन करने वाला होता है। उसकी बहुत ख्याति होती है। वह लोगों का शरणदाता और पूजनीय होता है। वह सभी का गुरु होता है। पृथ्वी पर इंद्र (आदि लोकपालों) का ही चौथा अंश होने के कारण वह प्रजा की रक्षा करता है। इसलिए राजा की सब लोग वंदना करते हैं और वह उत्तम और मनभावन भोगों का उपभोग करता है। (जब एक साधारण राजा की ऐसी स्थिति है, तो आपके लिए क्या कहना है, आप तो साक्षात भगवान हैं)।