श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 1: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का तापसों के आश्रम मण्डल में सत्कार  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  3.1.17 
 
 
मङ्गलानि प्रयुञ्जाना मुदा परमया युता:।
मूलं पुष्पं फलं सर्वमाश्रमं च महात्मन:॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  तदनंतर वे महात्मा लोग अत्यधिक प्रसन्नता के साथ मंगलमय आशीर्वाद देते हुए श्रीराम को फल-मूल, पुष्प आदि समर्पित करने के साथ-साथ अपना पूरा आश्रम भी सौंप दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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