श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 1: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का तापसों के आश्रम मण्डल में सत्कार  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  3.1.15 
 
 
अत्रैनं हि महाभागा: सर्वभूतहिते रता:।
अतिथिं पर्णशालायां राघवं संन्यवेशयन्॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  समस्त प्राणियों के मंगल के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले वे महात्मा महर्षि अपने प्रिय अतिथि भगवान् श्रीराम को पर्णकुटी में ठहराकर सम्मानित कर रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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