श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 1: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का तापसों के आश्रम मण्डल में सत्कार  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  3.1.13 
 
 
रूपसंहननं लक्ष्मीं सौकुमार्यं सुवेषताम्।
ददृशुर्विस्मिताकारा रामस्य वनवासिन:॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  वन में रहने वाले मुनि श्रीराम के रूप, उनके शरीर की रचना, उनके तेज, उनकी कोमलता और उनके सुंदर वस्त्रों को देखकर विस्मय से भर गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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