श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 99: भरत का शत्रुघ्न आदि के साथ श्रीराम के आश्रम पर जाना, उनकी पर्णशाला देख रोते-रोते चरणों में गिरना, श्रीराम का उन सबको हृदय से लगाना  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  2.99.40 
 
 
शत्रुघ्नश्चापि रामस्य ववन्दे चरणौ रुदन्।
तावुभौ च समालिङ्गॺ रामोऽप्यश्रूण्यवर्तयत्॥ ४०॥
 
 
अनुवाद
 
  शत्रुघ्न ने भी रोते हुए श्रीराम को नमन किया। श्रीराम ने उन दोनों को उठाकर अपने हृदय से लगा लिया। तब उन्होंने भी आँखों से आँसुओं की धारा बहाई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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