श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 99: भरत का शत्रुघ्न आदि के साथ श्रीराम के आश्रम पर जाना, उनकी पर्णशाला देख रोते-रोते चरणों में गिरना, श्रीराम का उन सबको हृदय से लगाना  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  2.99.38 
 
 
दु:खाभितप्तो भरतो राजपुत्रो महाबल:।
उक्त्वाऽऽर्येति सकृद् दीनं पुनर्नोवाच किंचन॥ ३८॥
 
 
अनुवाद
 
  दुःख से अत्यंत व्याकुल होकर राजकुमार भरत ने केवल एक बार ‘आर्य’ कहकर विनम्रतापूर्वक पुकारा और उसके बाद वे और कुछ नहीं बोल सके।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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