वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 99: भरत का शत्रुघ्न आदि के साथ श्रीराम के आश्रम पर जाना, उनकी पर्णशाला देख रोते-रोते चरणों में गिरना, श्रीराम का उन सबको हृदय से लगाना
»
श्लोक 30
श्लोक
2.99.30
दृष्ट्वैव विललापार्तो बाष्पसंदिग्धया गिरा।
अशक्नुवन् वारयितुं धैर्याद् वचनमब्रुवन्॥ ३०॥
अनुवाद
play_arrowpause
भरत ने जैसे ही अपने भाई को देखा, वे विलाप करने लगे। वे अपने दुःख को रोक नहीं पाए और आँसू बहाते हुए उनकी आवाज़ भर्रा गई। वे बोले-।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.