श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 99: भरत का शत्रुघ्न आदि के साथ श्रीराम के आश्रम पर जाना, उनकी पर्णशाला देख रोते-रोते चरणों में गिरना, श्रीराम का उन सबको हृदय से लगाना  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  2.99.29 
 
 
तं दृष्ट्वा भरत: श्रीमान् शोकमोहपरिप्लुत:।
अभ्यधावत धर्मात्मा भरत: केकयीसुत:॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  धर्मात्मा श्रीमान भरत, जब उन्होंने श्री राम की दशा देखी, तो वे शोक और मोह में डूब गए और वेग से उनकी ओर दौड़े।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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