श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 92: भरत का भरद्वाज मुनि से श्रीराम के आश्रम जाने का मार्ग जानना, वहाँ से चित्रकूट के लिये सेना सहित प्रस्थान करना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  2.92.10 
 
 
भरतार्धतृतीयेषु योजनेष्वजने वने।
चित्रकूटगिरिस्तत्र रम्यनिर्झरकानन:॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  चित्रकूट पर्वत प्रयाग से ढाई योजन की दूरी पर स्थित एक निर्जन वन में स्थित है। इसके झरने और वन बहुत ही मनोरम हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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