श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 91: भरद्वाज मुनि के द्वारा सेना सहित भरत का दिव्य सत्कार  »  श्लोक 36-37
 
 
श्लोक  2.91.36-37 
 
 
प्रविवेश महाबाहुरनुज्ञातो महर्षिणा।
वेश्म तद् रत्नसम्पूर्णं भरत: कैकयीसुत:॥ ३६॥
अनुजग्मुश्च ते सर्वे मन्त्रिण: सपुरोहिता:।
बभूवुश्च मुदा युक्तास्तं दृष्ट्वा वेश्मसंविधिम्॥ ३७॥
 
 
अनुवाद
 
  महर्षि भरद्वाज की आज्ञा से, कैकेयी के पुत्र महाबाहु भरत ने रत्नों से भरे उस महल में प्रवेश किया। उनके साथ आए पुरोहित और मंत्रियों ने भी महल में प्रवेश किया। उस महल की निर्माण कला देखकर वे सभी बहुत खुश हुए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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