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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 88: श्रीराम की कुश-शय्या देखकर भरत का स्वयं भी वल्कल और जटाधारण करके वन में रहने का विचार प्रकट करना
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श्लोक 29
श्लोक
2.88.29
अभिषेक्ष्यन्ति काकुत्स्थमयोध्यायां द्विजातय:।
अपि मे देवता: कुर्युरिमं सत्यं मनोरथम्॥ २९॥
अनुवाद
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अयोध्या में ब्राह्मणगण श्रीराम का अभिषेक करेंगे। काश देवता मेरी इस इच्छा को पूर्ण करते।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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