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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 88: श्रीराम की कुश-शय्या देखकर भरत का स्वयं भी वल्कल और जटाधारण करके वन में रहने का विचार प्रकट करना
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श्लोक 28
श्लोक
2.88.28
वसन्तं भ्रातुरर्थाय शत्रुघ्नो मानुवत्स्यति।
लक्ष्मणेन सहायोध्यामार्यो मे पालयिष्यति॥ २८॥
अनुवाद
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वसन्त ऋतु में छोटे भाई शत्रुघ्न मेरे साथ वन में रहेंगे और मेरे बड़े भाई श्री राम लक्ष्मण के साथ अयोध्या का शासन करेंगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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