यदि पिताजी जीवित रहते तो अयोध्यापुरी एक ऐसी राजधानी होती जो सुंदर स्थानों और चौराहों से युक्त होती। विशाल राजमार्ग इसे और भी शानदार बनाते। धनिकों के महल, देवमंदिर और राजभवन शहर की शोभा बढ़ाते। हर तरह के रत्न यहाँ पाए जाते। हाथी, घोड़े और रथों का आवागमन शहर को जीवंत बनाए रखता। संगीत की मधुर ध्वनियाँ वातावरण को खुशनुमा बनाती। यहाँ हर तरह की खुशहाली होती। लोग खुशहाल और स्वस्थ होते। फूलों के बगीचे और उद्यान शहर की सुंदरता में चार चाँद लगाते। सामाजिक उत्सवों से शहर हमेशा गुलजार रहता। ऐसे शहर में रहने वाले लोग निश्चित ही सुखी होते।