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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 82: वसिष्ठजी का भरत को राज्य पर अभिषिक्त होने के लिये आदेश देना,भरत का उसे अनुचित बताकर श्रीराम को लाने के लिये वन में चलने की तैयारी का आदेश देना
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श्लोक 28
श्लोक
2.82.28
भरतस्य तु तस्याज्ञां परिगृह्य प्रहर्षित:।
रथं गृहीत्वोपययौ युक्तं परमवाजिभि:॥ २८॥
अनुवाद
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भरत के आदेश का पालन करके सुमन्त्र बहुत खुश हुए और सर्वोत्तम घोड़ों से जुता हुआ रथ लेकर लौट आए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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