श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 82: वसिष्ठजी का भरत को राज्य पर अभिषिक्त होने के लिये आदेश देना,भरत का उसे अनुचित बताकर श्रीराम को लाने के लिये वन में चलने की तैयारी का आदेश देना  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  2.82.24 
 
 
ता: प्रहृष्टा: प्रकृतयो बलाध्यक्षा बलस्य च।
श्रुत्वा यात्रां समाज्ञप्तां राघवस्य निवर्तने॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  समाचार सुनकर प्रजा और सेनापति बहुत प्रसन्न हुए कि भरत, श्री रामचंद्र जी को वापस लाने के लिए जा रहे हैं और सेना को भी उनके साथ जाने का आदेश मिला है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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