वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 82: वसिष्ठजी का भरत को राज्य पर अभिषिक्त होने के लिये आदेश देना,भरत का उसे अनुचित बताकर श्रीराम को लाने के लिये वन में चलने की तैयारी का आदेश देना
»
श्लोक 24
श्लोक
2.82.24
ता: प्रहृष्टा: प्रकृतयो बलाध्यक्षा बलस्य च।
श्रुत्वा यात्रां समाज्ञप्तां राघवस्य निवर्तने॥ २४॥
अनुवाद
play_arrowpause
समाचार सुनकर प्रजा और सेनापति बहुत प्रसन्न हुए कि भरत, श्री रामचंद्र जी को वापस लाने के लिए जा रहे हैं और सेना को भी उनके साथ जाने का आदेश मिला है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.