शत्रुघ्न ने कुब्जा को घसीटा और पटका, जिससे वह मूर्छित हो गई। उसे इस हालत में देखकर भरत की माँ कैकेयी उसके पास गई और धीरे-धीरे उसे प्यार से सहलाते हुए होश में लाने की कोशिश करने लगी। उस समय कुब्जा पिंजरे में बंद क्रौंच पक्षी की तरह कैकेयी की ओर देख रही थी।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽयोध्याकाण्डेऽष्टसप्ततितम: सर्ग:॥ ७८॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अयोध्याकाण्डमें अठहत्तरवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ७८॥