श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 78: शत्रुज का रोष, उनका कुब्जा को घसीटना और भरतजी के कहने से उसे मूर्च्छित अवस्था में छोड़ देना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  2.78.16 
 
 
स च रोषेण संवीत: शत्रुघ्न: शत्रुशासन:।
विचकर्ष तदा कुब्जां क्रोशन्तीं पृथिवीतले॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  शत्रुघ्न ने जो कि शत्रुओं का वश में करने वाले वीर थे, अत्यंत क्रोध में आकर कुब्जा को भूमि पर घसीटना शुरू कर दिया। उस समय कुब्जा ज़ोर-ज़ोर से रो रही थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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