श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 76: राजा दशरथ का अन्त्येष्टि संस्कार  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  2.76.22 
 
 
ततो रुदन्त्यो विवशा विलप्य च पुन: पुन:।
यानेभ्य: सरयूतीरमवतेरुर्नृपाङ्गना:॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  दाहकर्म के पश्चात् विवश होकर रोती हुई वे राजरानियाँ बारंबार विलाप करके सवारियों से उतर गईं और सरयू नदी के तट पर चली गईं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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