श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 75: कौसल्या के सामने भरत का शपथ खाना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  2.75.5 
 
 
तथैव क्रोशतस्तस्य भरतस्य महात्मन:।
कौसल्या शब्दमाज्ञाय सुमित्रां चेदमब्रवीत्॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  तब महात्मा भरत अपनी माता को इस प्रकार कोस रहे थे तभी उनकी आवाज़ सुनकर कौशल्या ने सुमित्रा से यह कहा-
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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