श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 75: कौसल्या के सामने भरत का शपथ खाना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  2.75.12 
 
 
प्रस्थाप्य चीरवसनं पुत्रं मे वनवासिनम्।
कैकेयी कं गुणं तत्र पश्यति क्रूरदर्शिनी॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  शोणितपुर ले जाया गया सुनकर, विद्या-विशारद योषिता ने यादवों को विश्वास दिलाया कि देवताओं ने उसे नहीं चुराया * ॥ ११॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.