श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 70: दूतों का भरत को वसिष्ठजी का संदेश सुनाना, भरत का पिता आदि की कुशल पूछना, शत्रुघ्न के साथ अयोध्या की ओर प्रस्थान करना  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  2.70.28 
 
 
स मातामहमापृच्छॺ मातुलं च युधाजितम्।
रथमारुह्य भरत: शत्रुघ्नसहितो ययौ॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  सभी ननिहाल के परिजन मातामह, मातामही, मामा और मामी से विदा हो शत्रुघ्न के साथ रथ पर सवार हो भरत ने यात्रा आरम्भ की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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