श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 70: दूतों का भरत को वसिष्ठजी का संदेश सुनाना, भरत का पिता आदि की कुशल पूछना, शत्रुघ्न के साथ अयोध्या की ओर प्रस्थान करना  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  2.70.26 
 
 
स स्ववेश्माभ्यतिक्रम्य नरनागाश्वसंकुलम्।
प्रपेदे सुमहच्छ्रीमान् राजमार्गमनुत्तमम्॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  भरत अपने घर वापस लौटे और फिर वहाँ से निकलकर उस राजमार्ग पर चले जो मनुष्यों, हाथियों और घोड़ों से भरा हुआ था। उस समय तक भरत के पास बहुत बड़ी सम्पत्ति इकट्ठा हो चुकी थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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