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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 67: मार्कण्डेय आदि मुनियों तथा मन्त्रियों का राजा के बिना होने वाली देश की दुरवस्था का वर्णन करके वसिष्ठजी से किसी को राजा बनाने के लिये अनुरोध
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श्लोक 18
श्लोक
2.67.18
नाराजके जनपदे धनवन्त: सुरक्षिता:।
शेरते विवृतद्वारा: कृषिगोरक्षजीविन:॥ १८॥
अनुवाद
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राजा के बिना राज्य में धनी लोग सुरक्षित नहीं रह पाते हैं और कृषि और गोरक्षा करके अपना जीवन चलाने वाले वैश्य भी अपने दरवाजे खोलकर नहीं सो पाते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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