श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 67: मार्कण्डेय आदि मुनियों तथा मन्त्रियों का राजा के बिना होने वाली देश की दुरवस्था का वर्णन करके वसिष्ठजी से किसी को राजा बनाने के लिये अनुरोध  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  2.67.17 
 
 
नाराजके जनपदे तूद्यानानि समागता:।
सायाह्ने क्रीडितुं यान्ति कुमार्यो हेमभूषिता:॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  राजारहित जनपद में संध्या के समय सोने के आभूषणों से सजी हुई कुमारियाँ एक साथ मिलकर उद्यानों में क्रीड़ा करने नहीं जाती हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.