सूर्य के बिना आकाश और नक्षत्रों के बिना रात कितनी बेजान और अंधकारमय लगेगी, उसी प्रकार अयोध्यापुरी भी अपने महात्मा राजा दशरथ के बिना उदास, म्लान और बेजीवन लगती थी। उसकी सड़कों और चौराहों पर हर जगह से आँसुओं से भरे हुए कंठ वाले लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी, जो राजा दशरथ के जाने के गम में विलाप कर रहे थे।