श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 65: वन्दीजनों का स्तुतिपाठ, राजा दशरथ को दिवंगत हुआ जान उनकी रानियों का करुण-विलाप  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  2.65.29 
 
 
अतीतमाज्ञाय तु पार्थिवर्षभं
यशस्विनं तं परिवार्य पत्नय:।
भृशं रुदन्त्य: करुणं सुदु:खिता:
प्रगृह्य बाहू व्यलपन्ननाथवत्॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  पार्थिवर्षभ यशस्वी भूपाल के दिवंगत होने पर उनकी पत्नियाँ उनके चारों ओर इकट्ठी हो गईं और दुःख से जोर-जोर से रोने लगीं। उन्होंने उनके दोनों हाथ पकड़ लिए और अनाथ की तरह करुण विलाप करने लगीं।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽयोध्याकाण्डे पञ्चषष्टितम: सर्ग:॥ ६५॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अयोध्याकाण्डमें पैंसठवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ६५॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.