पार्थिवर्षभ यशस्वी भूपाल के दिवंगत होने पर उनकी पत्नियाँ उनके चारों ओर इकट्ठी हो गईं और दुःख से जोर-जोर से रोने लगीं। उन्होंने उनके दोनों हाथ पकड़ लिए और अनाथ की तरह करुण विलाप करने लगीं।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽयोध्याकाण्डे पञ्चषष्टितम: सर्ग:॥ ६५॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अयोध्याकाण्डमें पैंसठवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ६५॥