राजा दशरथ के निधन के पश्चात् उनका भवन भयभीत, घबराए हुए और अत्यंत उत्सुक लोगों से भर गया। हर ओर रोने-चिल्लाने का भयानक शब्द होने लगा। वहाँ राजा के सभी रिश्तेदार शोक-संताप से पीड़ित होकर एकत्रित हुए। वह पूरा महल तुरंत आनंद शून्य हो गया और दु:खी और व्याकुल दिखाई देने लगा।