श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 65: वन्दीजनों का स्तुतिपाठ, राजा दशरथ को दिवंगत हुआ जान उनकी रानियों का करुण-विलाप  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  2.65.26 
 
 
ताभि: स बलवान् नाद: क्रोशन्तीभिरनुद्रुत:।
येन स्फीतीकृतो भूयस्तद् गृहं समनादयत्॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  क्रन्दन करने वाली रानियों ने दरबार के पहले से ही प्रचंड शोक को और बढ़ा दिया। उस बढ़े हुए विलाप से राजमहल गूंज उठा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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